पदांत... नहीं आते
मेरी खुशियों को अब वह, नेह से ढ़कने नहीं आते |
मेरे जख्मों को सहलाने,,,,,,, मेरे अपने नहीं आते |
सजा तन्हाई की देकर,,, गया... मुसिंफ मेरा जबसे,
मेरी आँखों में अब,,,,,महबूब के.. सपने नहीं आते |
{ अनुपम आलोक }
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