नमन बंधु वर..... बंधु चिंतन..कसौटी, कसो स्वर्ण पा | उर न उन्मुक्त हो, धर्म का..वर्ण का | हैं जरुरी.. मनुज के लिये , मित्र दो, एक हो कृष्ण सा,,,एक हो कर्ण सा | "अनुपम आलोक "
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