Monday, July 6, 2015

मित्रता ..... और ....मित्र

नमन बंधु वर.....
बंधु चिंतन..कसौटी, कसो स्वर्ण पा |
उर न उन्मुक्त हो, धर्म का..वर्ण का |
हैं जरुरी.. मनुज के लिये , मित्र दो,
एक हो कृष्ण सा,,,एक हो कर्ण सा |
                         "अनुपम आलोक "

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