नाव की तर्ज पर चल रही जिंदगी | चांद की तर्ज पर ढ़ल रही जिंदगी | हो जो ' मांझी अगर साथ विश्वास का, बीच खुशियों के ' फिर पल रही जिंदगी | (अनुपम आलोक )
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